खिलाड़ियों की सुरक्षा चिंताऐं

आस्ट्रेलिया  के क्रिकेटरो ने पाकिस्तान में सितम्बर में आयोजित होने वाली चैम्पियंस ट्राफी में खेलने से इनकार कर दिया। उन्होन यह कदम हाल ही में पाकिस्तान में आतंकवादीयों द्वारा किये गये बम विस्फोटो के मध्यनजर सुरक्षा कारणो से ‘यह कदम उठाया है। न्यूजीलैण्ड और दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर भी सुरक्षा कारणो से ऐसा ही कदम उठाने की सोच रहे है। इस कारण से चेम्पियसं ट्राफी का आयोजन खतरे में पड़ गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी दे’ा के खिलाड़ियों ने आतंकवादीयो की हिंसक गतिविधियों के मध्यनजर किसी भी प्रतियोगिता में खेलने से इनकार किया है । इससे पहले भी क्रिकेट व अन्य खेलो के खिलाड़ियों ने सुरक्षा कारणो से हिंसा प्रभावित दे’ाो अथवा शहरो में खेलने से इनकार किया है। इस कारण यह प्र’न खड़ा होना लाजिमी है कि कड़े सुरक्षा उपायो के बावजूद खिलाड़ी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित क्यों होते है ? और मेजबान व खेल संगठन खिलाड़ियों में सुरक्षा का भरोसा पैदा करने में नाकाम्याब क्यों रहे है ?

 ख्ेालो को शांति और मैत्री का माध्यम माना जाता हे। खिलाड़ी खेलो के द्वारा पूरी दुनिया का शांति और मेत्री का संदे’ा देते है। ओलम्पिक आंदालेन इसका एक उदाहरण है जहां तमाम मतभेदो के बावजूद दुनियाभर के दे’ा खेल के लिए एक ही स्थान पर इकट्ठे होते है। भारत और पाकिस्तान में आतंकी घटनाओ के कारण क्रिकेट संबध टूट गये लेकिन क्रिकेट ही दोनो दे’ाो को नजदीक लाने का माध्यम बना। ऐसे में आतंकी गतिवधियां खेलो के इस संदे’ा को प्रचारित होने में बाधा उत्पन्न करती है।  आतंकी सीधे तौर पर खेलो को नि’ााना बनाकर आंतकी घटनाऐं नहीं कर रहे है । फिर भी ख्ेालेा के माध्यम से विभिन्न दे’ाो के माध्यम से खत्म  हो रही वैमनस्यता को आंतकी पचा नहीं पा रहे है और वे हिंसक घटनओ से कहीं न कहीं खेलो को प्रभावित करने की मं’ाा रखते है। ऐसे में सीधे तोैर पर सवाल उठता है कि मेजबान दे’ा और आयोजक संगठन खेलो के आयोजन के सबंध में अन्य तैयारियो के अलावा सुरक्षा उपायो पर कितने गंभीर होते है ? खेल सं्रगठन आयोजक दे’ा अथवा शहर की घोषणा करते है । मेजबान इसकी तैयारियां शुरू कर देते है । लेकिन जब खिलाड़ी सुरक्षा कारणो से खेलने से इनकार करते है तो खेल संगठन सुरक्षा के मुद्दंे को गंभीरता से लेते है जबकि आयोजन की घोषणा करते समय ही सुरक्षा मुद्दो को गंभीरता से लेना चाहिए। इसके लिए सुरक्षा मानदण्ड तय किये जाने चाहिए। आयोजक दे’ा द्वारा सुरक्षा उपाय करने के बावजूद भी  खिलाड़ी अपने आपको असुरक्षित महसूस करते है और हिंसा प्रभावित इलाको में खेलने से इनकार कर देते है।

 खेलो के माध्यम से शांति का संदे’ा दिया जाता है लेकिन जान को जोखिम में डालकर खेल नहीं खेला जा सकता है। इसके लिए स्वच्छ वातावरण की आव’यकता होती है। खिलाड़ियों के बिना खेल नहीं होता है। खेल में खिलाड़ी अहम् होता है। इसलिए उनकी सुरक्षा की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। उनके सुरक्षा का भरोसा कायम किया जाना चाहिए। हिंसा प्रभावित इलाको में खिलाड़ियों द्वारा खेलने से इनकार करने का तात्पर्य यह है कि कहीं न कहीं खेल संगठनो और आयोजको द्वारा खिलाड़ियों की सुरक्षा को गंभीरता से नही लिया जा रहा है। क्रिकेट हो या अन्य कोई खेल खिलाड़ियों की सुरक्षा को सर्वोपरी माना जाना चाहिए। खिलाड़ियों में सुरक्षा को लेकर भरोसा कायम करने की आव’यकता है। किसी प्रतियोगिता में खेलने के लिए खिलाड़ी को लंबे समय तक एक शहर अथवा दे’ा में रूकना पड़ता है। इसलिए सुरक्षा की गारंटी के बिना खेल खेला जाना संभव नहीं होता है। खिलाड़ियों के सुरक्षा के मुद्दंे पर बहस की आव’यकता है। यदि खेलो के माध्यम से आंतकीयों के हौसलो को पस्त करना है तो खिलाड़ियों की सुरक्षा चिंताओ को दूर किया जाना जरूरी है।
(लेखक स्पोटर््स स्पीड पत्रिका के मानद् संपादकीय सलाहकार है।)

मनीष कुमार जोशी, सीताराम गेट के सामने, बीकानेर

Advertisement

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: