बड़े खेल आयोजनो में वे’यावृत्ति की खबरे आती रहती है और कई स्थानो पर इसे अधिकारिक रूप से मान्यता भी दी जाती है। वे’यावृत्ति की परिभाषा और समाज में मान्यता अलग अलग है। इस संबध में ए’िाया और यूरोप के दे’ाो की स्थितियां भिन्न भिन्न है। इस कारण बड़े खेल आयोजनों में वे’यावृत्ति की खबरे भी अलग अलग प्रकार से आती है। बीजींग में होने वाले ओलम्पिक खेलो के मध्यनजर वे’यावृत्ति और सैक्स वर्करो को लेकर चर्चाए बढ़ गई है।
चीन में वे’यावृत्ति के बारे में अलग अलग धारणाऐ है परन्तु कानूनी रूप से वहां सैक्स वर्करो को आजादी नहीं है और समाज में उन्हे घृणित नजरो से देखा जा सकता है। इस कारण बीजग ओलम्पिक में वे’यावृति को रोकने के लिए चीन सरकार ने दि’ाा निर्दे’ा जारी किये है। इसके अलावा बीजींग पुलिस ने भी कड़ी कार्यवाही करते हुए सैक्स वर्करो को शहर से हटा दिया है। एड्स और कण्डोम का जोरदार प्रचार किया गया है। चीन केे सार्वजनिक सुरक्षा विभाग की वेबसाईट पर मनोरंज केन्द्रो के लिए दि’ाा निर्दे’ा भी जारी किए गये है जिसमें नाईट क्लब भी शामिल है। इसमें महत्वपूर्ण निर्दे’ा है कि मनोजरंज केन्द्रो की खिड़किया पारदर्’ाी हो। इससे साफ जाहिर है कि वे’यावृत्ति रोकने के लिए कड़ी कार्यवाही की जा रही है। परन्तु विदे’ा से आने वाले सैक्स वर्करो के लिए भी कड़ वीजा नियम बनाये गये है। रूस और जर्मनी की कई सैक्स वर्करो की एजेन्सिया बीजींग ओलम्पिक में व्यापार के लिए लाईसेंस हासिल करना चाहती है परन्तु चीनी अधिकारियांे का रूख इस संबध में कड़ा है। विदे’िायों के लिए चीनी सरकार ने खास नियम औा प्रतिबंध घोषित किए है।
फुटबाल के आयोजनो में खासकर यूरोपियन दे’ाो में सैक्स व्यापार की अनुमति दी जाती है। इसके लिए जर्मनी, रूस और ब्रिटेन की कई एजेन्सिया इसके लिए आवेदन करती है। पिछले वि’यकप फुटबाल मे वे’यावृत्ति को मान्यता देने के कारण इस आयोजन मे ंसैक्स बड़ा व्यापार बन कर उभरा। एक अनुमान के अनुसार इस वि’वकप फुटबाल में 400,000 से 700,000 सैक्स वर्करो ने काम किया और सम्बन्धित एजेन्सिायो करोड़रो डाॅलरर्स का मुनाफा कमाया। वा’िांटन पोस्ट में प्रका’िात एक आलेख के अनुसार रूस और जर्मनी के कई सेक्स वर्कर इस समय में चीन में व्यापार कर रहे है। चीन अखबारो की रिपोर्टो के अनुसार विदे’ाी सेक्स वर्कर ग्राहको से ऊंचे दाम वसूल कर रह है और ओलम्पिक के दौरान प्रतिबंध के बावजूद इनका व्यापार कई गंुना बढ़ने संभावना है। बीजींग के एक प्रसिद्ध पत्रकार के अनुसार ओलिम्पक के दौरान सैक्स एक उद्योग बन जायेगा।
सैक्स वर्करो के काम करने , वे’यावृत्ति और एजेन्सियो द्वारा पैसा कमाने की खबरे आती रहती है। लेकिन इस प्रकार के बड़े खेल आयोजनो के दौरान सैक्स वर्करो के शोषण की खबरे भी सामने आई है। ब्रिटेन में महिलाओ के न्याय के लिए संस्था चलाने वाले जुली बिन्डेल वहा के अखबार गार्जियन में लिखते है कि ब्रिटेन की एक 17 वर्षीय सैक्स वर्कर ने उन्हे अपने शोषण की कहानी बतायी । 17 वर्षीय एल्उा को उसके नियोजक ने वि’वकप फुटबाल के दौरान काम के लिए भेजा । वहां उन्हे 17 ’िा्फ्ट में लगातार काम करना पड़ता था। इसके अलावा ज्यादा पैसे के लिए ग्रुप सैक्स के लिए भी मुझे काम करना पड़ा। बिन्डंेल के अनुसार इस प्रकार कई सैक्स वर्कर्स शोषण की ’िाकार है और इस प्रकार के खेल आयोजनो के माध्यम से सेक्स वर्कर एजेन्सिया इन वर्कर्स का शोषण कर करोड़ो के वारे न्यारे करती है। परन्तु अभी तक इस शोषण के विरूद्ध किसी ने आवाज नहीं उठाई है।
जहां एक ओर सैक्स वर्करो के शोषण और समाज में नैतिकता की बात की जाती है वहीं एक संस्था ऐसी भी है जो इनके लिए कार्य करती है। भारतीय समुदाय कल्याण संस्था सैक्स वर्करो के लिए खेलो का आयोजन करता है। इस अप्रवासी संस्था ने 2005 में सैक्स वर्करो के लिए क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता मे सैक्स वर्करो को ही खेलने की छुट थी।
इन सब के बावजदू यह तय है कि यूरोपियन खेल प्रेमियो और खिलाड़ियों ने खेल आयोजनो में वे’यावृत्ति को बढ़ावा देते है जबकि खेल की भावना इसके विपरित होती है । ऐसा लगता है कि यूरोपियन खेलो की आड़ में अपनी सैक्स आंकाक्षओ की पूति करते है। इस सबंध में चीन के अधिकारियों द्वारा अपनाया गया कड़ा रूख बिलकुल सही है और इस संबध में उन्हे पुख्ता निगरानी करनी होगी ताकि प्रतिबंध के बावजूद सैक्स उद्योग के रूप में नहीं बदल जाये।
ूूूण्पदकपंेचवतजेण्चंहमण्जस